भगवान शिव के प्यारे भक्त चिंटू की कहानी क्या है ?
चिंटू नागपुर का रहने वाला है चिंटू का जन्म नागपुर शहर में प्यारे लाल मास्टर जी के घर हुआ था प्यारे लाल जी नागपुर के सरकारी स्कूल में गणित के टीचर है। प्यारे लाल जी पिछले 15 साल से स्कूल में पढ़ा रहे हैं।
चिंटू ने अपने पिता जी के स्कूल में ही पढ़ाई की चिंटू बचपन से ही पढ़ने में अच्छा था। चिंटू बड़ा ही प्यारा बच्चा था वो पढ़ाई में होशियार था उसका दिमाग़ बड़ा तेज़ था। चिंटू भगवान शिव का बड़ा भक्त है चिंटू को भगवान शिव से बचपन से ही लगाव है।
जब चिंटू सात साल का हों गया तो उसकी आंखों में अचानक से पानी निकले लगा जलन होने लगी उसके पिता ने डॉक्टर से दावा ला दी कुछ दिन बीते फीर वही दिक्कत तब चिंटू को बड़े डॉक्टर के पास लेजाया गया।
तब उसकी आंखों का टेस्ट हुआ तो पता चला की चिंटू की आंखों की रोशनी थोड़ी कम है इसलिए उसको चस्मा लगाना पड़ेगा यह चिंटू थोड़ा उदास हो गया की अब मुझे चश्मा लगाना पड़े गा तब उसके पिता ने डॉक्टर से कहा डॉक्टर जी इसका कोई और इलाज जिससे चिंटू की आंख ठीक हो जाए।
तब डॉक्टर ने कहा अभी चिंटू छोटा है अभी यह बच्चा है तो इसलिए इसका शरीर अभी धीरे धीरे विकास कर रहा है आप इसको चश्मा लगवाइए इसको सेहतमंद आहार दीजिए इसका ध्यान रखिए चिंटू अपने आप ठीक हो जाय गा इसकी आंखे ठीक हो जाएगी डॉक्टर ने कहा भगवान से प्रार्थना किया करिए की चिंटू की आंखे जल्दी से जल्दी ठीक हो जाए।
चिंटू अगले दिन सुबह स्कूल जाता है और जब घर आता है तो बड़ा उदास होता है उसके पिता जी पूछते है अरे चिंटू बेटा क्या हुआ उदास क्यों है तब चिंटू ने जवाब दिया पिता जी बच्चे मेरा बहुत मज़ाक उड़ा रहे थे कि मैने चश्मा पहना है
चिंटू भगवान शिव के आगे प्रार्थना करता है भगवान जी यह मेरे साथ आपने क्या किया मेरी आंखें ऐसी क्यों बनाई।
चिंटू रोज स्कूल से उदास होकर आने लगा था पढ़ाई में उसका मन नही लग रहा था चिंटू का कोई दोस्त नहीं बन रहा था स्कूल में ऐसे ही चार महीने निकल गए चिंटू अब थक चुका था वो भगवान शिव से हे भगवान शिव मेरे पे कृपा करो मेरी आंखें ठीक करो।
तब चार महीने बाद सोनू नाम का एक लड़का स्कूल में दाखिला लेता है सोनू को भी एक कान से कम सुनाई देता है सोनू के पिता जी मास्टर जी से कहते हैं कि मेरे बेटे सोनू को एक कान से कम सुनाई देता है कृपया इसका दोस्त बन जाए तो बड़ी मेहरबानी होगी तो मास्टर जी बोलते हैं घबराइए मत यह स्कूल में एक और बच्चा है जिसे एक आंख से कम दिखाई देता है।
उसका नाम चिंटू है वह हमारे स्कूल के गणित के मास्टर जी का बेटा है मैं सोनू को चिंटू से मिलवाता हूं तब मास्टर जी चिंटू को ऑफिस में बुलाते हैं मास्टर जी बोलते हैं चिंटू तुम्हारे लिए एक अच्छी खबर है तुम्हारा एक दोस्त आया है यह सोनू है जाओ सोनू को स्कूल घुमा के लाओ।
चिंटू सोनू को लेकर ऑफिस से बाहर आता है और पूछता है सोनू क्या हाल है सोनू का कोई जवाब नहीं आता चिंटू सोनू की दाएं और खड़ा होता है लेकिन सोनू को दाएं कान से कम सुनाई नहीं देता है चिंटू फिर पूछता है सोनू क्या हाल है सोनू का फिर कोई जवाब नहीं आता चिंटू एक बार फिर कोशिश करता है सोनू क्या हाल है सोनू फिर कोई जवाब नहीं दे पाता चिंटू नाराज होकर वहीं रुक जाता है तब सोनू बोलता है क्या हुआ
चिंटू तुम रुक क्यों गए तब चिंटू बोलता है मैं तुमसे पूछ रहा हूं कि सोनू क्या हाल है और तो तुम कुछ क्यों नहीं बोल रहे तो सोनू बोलता है चिंटू मेरे दोस्त मुझे दाएं कान से कम सुनाई देता है इसमें तुमारी गलती नही है।
चिंटू भावुक को जाता है और कहता है मेरे दोस्त सोनू मुझे भी एक आंख से कम सुनाई देता है मैं बहुत परेशान हूं तब सोनू बोलता है अरे मेरे दोस्त कोई बात नहीं मुझे भी बहुत दुख लगता था जब मुझे पता लगता था कि मुझे एक कान से कम सुनाई देता है मैं भी पहले बड़ा परेशान होता था फिर मैंने ऐसे ही जीना सीख लिया घबराओ नहीं मेरे दोस्त भगवान सब कुछ ठीक करेंगे बस उन पर भरोसा रखो।
चिंटू और सोनू अच्छे दोस्त बन गए थे चिंटू का भी अब पढ़ाई में मन लगने लगा वह दोनों अपना दुख सुख बांटने लगे चिंटू की तो आंखों की रोशनी ठीक हो सकती थी लेकिन सोनू की एक कान की सुनने की शक्ति पैदा होते ही कम थी वह ठीक नहीं हो सकती इस बात का सोनू को पता था लेकिन उसने कभी चिंटू को नहीं बताया ऐसे ही दिन बीतते गए लगभग 2 साल बीत गए चिंटू की आंखें ठीक होने लगी एक दो महीने बाद चिंटू की आंखें बिल्कुल ठीक हो जाएंगी ऐसा डॉक्टर जी ने कहा था और ऐसा होता भी है चिंटू की आंखें पूरी तरह से ठीक हो जाती है
स्कूल में परीक्षा का समय आता है लगभग 2 महीने परीक्षा चलती है लेकिन परीक्षा से पहले सोनू के पिता जी स्कूल आते हैं और स्कूल के मास्टर जी से कहते हैं कि सोनू परीक्षा नहीं दे पाएगा इसकी माता जी बहुत बीमार हो गई है और हमें यहां से जाना होगा जब यह बात चिंटू को पता लगती है तो वह भाग कर सोनू के पास जाता है और कहता है कि तुम परीक्षा क्यों नहीं दे रहे तो सोनू जवाब देता है मेरी माता जी बीमार है मुझे वहां जाना पड़ेगा उनको मेरी जरूरत है परीक्षा का क्या है अगले साल दे दूंगा यह सुनकर चिंटू बोलता है अगर तुम परीक्षा नहीं दोगे तो मैं भी नहीं दूंगा तब सोनू समझाता है चिंटू तुम परीक्षा दो मुझे अभी जाना होगा जैसे ही माता जी ठिक होती है मैं आ जाऊंगा।
चिंटू सारी परीक्षा देता हैं और क्लास में पहले नंबर पर आता है। सब कुछ हो जाता है लेकीन सोनू नहीं आता एक दिन चिंटू सपने में देखता है चिंटू कोई और नहीं बल्कि भगवान शिव ही थे जो उसकी मदद करने आए थे चिंटू बड़ा ही खुश होता है।