मोहन के दादा की सोने की मटकी

मोहन के दादा की सोने की मटकी 
चंबा गांव में मोहन नाम का व्यक्ति रहता था वह एक मेहनती किसान था उसको अपने खेत में एक सोने की मटकी मिलती जो की उसके दादा की होती है यह कहानी उसी की है।

• मोहन का परिचय

• मोहन का घर और खेत

• मोहन के दादा

• सोने की मटकी


• मोहन का परिचय
मोहन चंबा गांव में रहता है मोहन एक सच्चा हिन्दू सनातनी शिव भक्त है। मोहन एक गरीब किसान है वो खेत में मेहनत करके फसल उगाकर अपने घर परिवार का गुजारा करता है उसका एक बेटा और एक बेटी है मोहन के पिता भी किसान ही है लेकिन वो शुरु से किसानी नहीं करते थे मोहन के दादा की मृत्यु के बाद उन्होने किसानी करना शुरु किया था मोहन के दादा परदादा सोने के व्यापारी थे।

मोहन एक अच्छा पिता और बेटा है मोहन अपने माता पिता की पूरी सेवा करता है और अपने बच्चो का भी पूरा खयाल रखता है मोहन एक गरीब किसान है जो की बडी मुश्किल से खेत में मेहनत से काम करके फसल उगा कर बेच कर अपना परिवार पालता है कर्ज से यह हालत होती है की अपनी जान देदे लेकिन उस भगवान की कृपया देखो की कर्ज भी चुका दिया और नई जमीन भी खरीदी मोहन ने 


• मोहन का घर और खेत
मोहन का घर खेत के पास ही है घर में पांच लोग रहते है खुद मोहन उसके माता पिता और मोहन के दो बच्चे एक बेटा और एक बेटी उसके परिवार वालों को गांव में सब जानते है गांव में सब बड़ी तारीफ करते हैं। मोहन के पास खेती के लिए चार बीघा जमीन ही है जिस पर वो अनाज उगाता है उसी खेत में हुऐ अनाज से वो अपने घर परिवार का गुजारा करता है और जो अनाज बचता है उसे मंडी में बेचता है।

मोहन अपने खेत में अलग अलग तरह की सब्जियां उगाता है गेंहू चावल आदि अनाज उगाता है सब्जियां और थोड़ा अनाज वो घर रखता है और बाकी सब मंडी में बेचता है उससे जो पैसा आता है वो पैसा मोहन बच्चो की पढ़ाई में लगाता है और उस पर जो कर्ज है उस के लिए वो पैसे इखठे करता है।


• मोहन के दादा
मोहन के दादा परदादा सोने के व्यापारी होते हैं।
यह बात तब की है जब मोहन के पिता की शादी नही हुई होती मोहन के दादा चंबा गांव के सोने के व्यापारी होते हैं। चंबा गांव में मशहूर सोने की दुकान मोहन के दादा की ही होती है।

गांव में जब किसी की शादी होती या कोई त्यौहार होता सब लोग मोहन के दादा से ही सोने की चीजे बनवाते थे मोहन के दादा का गांव में बड़ा नाम चलता था और इससे बाकी लोग सोने के दुकानदार मोहन के दादा से बड़े चिड़ते थे क्यूंकि उनका काम मोहन के दादा के मुकाबले बहुत कम था 
एक दिन मोहन के दादा तीर्थ यात्रा पर गए हुऐ थे और पीछे से उनकी दुकान में चोरी हो गई उनके घर में दुकान में सब जगह चोरी हो गई।

जब मोहन के दादा तीर्थ यात्रा से वापिस आए तब उन्हें यह बात पता चली एक ही झटके में वह बर्बाद हो गए सब लुट गया देखे कर्ज चुकाते चुकाते उनका सब कुछ बिक गया बस खेत के नाम पे थोड़ी सी जमीन ही बची उनकी सारी उमर निकल गई तब उन्हे याद आया की उनके पास एक सोने की मटकी अभी पड़ी है जो उन्होने अपने खेत में खुदाई के वक्त अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए छुपाई थी। इससे पहले की यह बात वो मोहन के पिता को बताए उस से पहले ही वो प्राण त्याग देते है और यह बात उनके साथ ही चली जाती है। मोहन के पिता भी गरीबी में अपना जीवन बिता देते है अब बाकी की कहानी मोहन की है सोने की मटकी की।


• सोने की मटकी 
मोहन किसानी कर के अपना परिवार पालता था अपना गुजारा करता था वो हर रोज भगवान से प्राथना करता है हे भगवान मुझ गरीब पे भी कृपा करो एक दिन हल चलाते चलाते उसको खेत में से कुछ आवाज आती है वो तुरंत देखता है यह क्या सोने की मटकी वो मिट्टी को साफ कर के देखता है यह तो सोने से भरी हुई है वो बड़ा खुश हुआ भाग के अपने परिवार वालों के पास गया मंदिर गया भगवान तूने मेरी सुन ली मोहन बड़ा खुश हुए और उसके भी दिन बदल गए उस मटकी पे मोहन के दादा का नाम था और उसे पता लगा कि वो मटकी उसके दादा की है मोहन ने अपने दादा को याद किया और शुक्रिया किया तो यह थी कहानी मोहन के दादा की सोने की मटकी की 
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