शंकर गुजराती की कहानी - Shankar Gujrati Story

शंकर गुजराती की कहानी
यह कहानी है गुजरात के छोटे से गांव में रहने वाले शंकर की जिस का पूरा नाम शंकर दास जैन है।इस कहानी को पढ़िए आपको बड़ी अच्छी लगेगी इस कहानी में देखिए कैसे एक गरीब घर का लड़का व्यापार में तरक्की करता है बडा आदमी बनता है।

शंकर का घर परिवार 
शंकर का घर परिवार गुजरात के गांव में ही था शंकर ने जैन परिवार में जन्म लिया था और वहा पर तो जायदातर लोग व्यापार ही करते है फिर चाहे कोई शहर में रहे या गांव में रहे।
शंकर की माता जी घर के काम देखती थी और उसके पिता जी की कपड़ो की दुकान थी शंकर अपने मां बाप का इकलौता लड़का था उसका कोई और भाई बहन नही था वो अपने माता पिता के साठ बडा खुश रहता था वो अपने माता पिता की खूब सेवा करता था।


शंकर का बचपन
शंकर बचपन से ही पढ़ाई में अच्छा था स्कूल और ट्यूशन दोनो जाता था शंकर गणित में बडा तेज़ था हिसाब किताब बड़ी तेज़ कर लेता था उसको साइकिल चलाने का बडा शौंक था।

उसके पिता जी ने शंकर को मनपसंद साइकिल लेके दी शंकर जिन्दगी में बडा बनने की ख्वाइश रखता था वह बचपन में बाकी बच्चो की तरह नही रहा करता था वो स्कूल ट्यूशन पढ़ने के बाद आपने पिता के साथ दुकान पर बैठता था और छुट्टी वाले दिन मां के साथ घर के काम में मदद करता था शंकर के पिता उनके रिश्तेदारी के लोगो की तरह अमीर नही थे छोटे से दुकानदार थे इसलिए एक वजह यह भी थी की उसको पैसे कमाने की भी इच्छा बचपन से थी 
गरीब घर से होने की वजह से शंकर ने बचपन में अपने पिता का बहुत संघर्ष देखा।


शंकर एक बात हमेशा अपने पिता से पूछता था कि पिता जी हमारे गांव शहर के सभी हमारी कुल के लोग व्यापार करते है और एक से एक अमीर आदमी है लेकिन हम क्यों इतने गरीब हैं तो शंकर के पिता बताते है बेटा जब मैं छोटा था तो तुम्हारे दादा जी का बहुत बड़ा व्यापार था

हम भी बड़े अमीर थे हमारा भी शहर में घर था उन्होने बताया कि तुम्हारे दादा जी को एक दिन दिल का दौरा पड़ गया वो बीमार हो गए जिस वजह से सारा पैसा उनके इलाज में लग गया लेकिन वो फिर भी बच नहीं पाए मैंने जैसे तैसे
गांव में आकर घर लिया अपनी जिंदगी बिताई यह सब सुन कर शंकर बडा भावुक हो गया और उसने कहा पिता जी आप फिक्र मत करिए मैं भी बडा आदमी बनू गा अपनी कपड़ो की दूकान को बड़ा करू गा तो यह सब बीता और शंकर बडा हो गया उसने अपनी पढ़ाई पूरी करी।

शंकर की पढ़ाई और शादी
शंकर ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली अच्छी डिग्री हासिल कर ली शहर से पढ़ लिख कर शंकर अब गांव वापिस आ गया। शंकर ने आते ही अपने पिता की कपड़ो की दुकान संभालनी शुरु कर दी अब शंकर की शादी की उमर हो गई थी पिता ने शंकर को कहा की बेटा अब तुम शादी कर लो हमें तुम्हारे बच्चो के दादा दादी बनना है तब शंकर ने कहा पिता जी मैं शादी करने के लिए तैयार हु बस मेरी एक शर्त है की आप जो भी लड़की मेरे लिए ढूंढे वो मेरे जैसी ही होनी चाहिए जो मेरे साथ काम में मेरा हाथ बटाएं पिता ने कहा ठीक है।
एक महीने बाद शंकर की मीना नाम की लड़की से शादी हो जाती है। मीना अच्छी लड़की है पढ़ी लिखी है। मीना बड़ी लगन से अपने सास ससुर की सेवा करती है शंकर का साथ देती है।
 
शंकर की व्यापार में तरक्‍की
शंकर शहर से पढ़ लिख के आया था और उसकी पत्नी मीना भी पढ़ी लिखी है इसलिए वो मार्डन फैशन की समझ रखते थे।

सबसे पहले तो शंकर अपने पिता की कपड़ो वाली दुकान को तोड़ कर दुबारा से बड़ी कर के बनवाता है अच्छे से मॉर्डन जमाने की तरह सजाता है दुकान की चमक देख नए नए ग्राहक शंकर के पास आने लगते हैं।
धीरे धीरे शंकर की दुकान मशहूर हो गई शंकर ने कमाई करी और एक दुकान शहर में खोली
देखते ही देखते शंकर दुकानें खोलता गया खोलता गया।

धीरे धीरे शंकर कपड़ो की दुकानों का बादशाह बन गया शंकर और मीना ने मिल कर खूब तरक्की करी शंकर के मां बाप बड़े खुस रहते थे।
शंकर ने नया घर लिया घर का हर एक समान लिया मां बाप की सेवा करी गांव शहर में नाम कमाया खूब तरक्की करी अब शंकर अपने बाकी रिस्तेदारो की तरह पैसे वाला बन गया था
दुकानों के साथ साथ शंकर कपड़ो का व्यापारी बना शहर शहर घूम कर अलग अलग तरह के कपड़ो का बसनेस करा इसी तरह शंकर को लोग शंकर गुजराती के नाम से भी जानने लगे।

शंकर की कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है की आप पढ़े लिखे मेहनत करे ईमानदारी से व्यापार करे और जो आप के सपने हैं जो अपको चाहिए वो आप हासिल कर सकते हो फिर चाहे आप पैदाइशी पैसे वाले हों या ना हो 



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