यह कहानी है भगवान शिव के भक्त रंजीत की रंजीत शंभुनाथ गांव में रहता है जिसका जीवन बहुत ही दुःख और कठनाइयों से भरा होता है बचपन से ही रंजीत ने बहुत मुसीबतों का सामना किया है।
बचपन में उसके पिता की मृत्यु हो जाती है जब वह 15 साल का होता है रंजीत के पिता का नाम रामकुमार है और मां का नाम बिमला देवी रंजीत दो भाई बहन है उसका नाम आरती है जो रंजीत से पांच वर्ष छोटी है
रंजीत की मां भी बीमार ही रहती थी जिसकी वजह से घर परिवार रंजीत ही संभालता था रंजीत पढ़ाई लिखाई में अच्छा था और समझदार था रंजीत के पिता रामकुमार शंभुनाथ राज्य के एक छोटे से किसान थे
उनके पास चार गाय भैंस थी शंभुनाथ राज्य के राजा को खेत में हुऐ अनाज और गांव में दूध बेच कर वह अपने परिवार को पालते थे रामकुमार की ईच्छा थी की बड़ा होकर रंजीत शंभुनाथ राज्य का महाराज बने
लेकिन फिर वो उदास होकर अपने मन को समझाते की यह कैसे हो सकता है वो तो एक गरीब किसान का बेटा है ऐसे कैसे हो सकता है उन्होंने बचपन से ही रंजीत को खेती करना सिखाना शुरू कर दिया था और व्यापार करना भी सिखाया
जिसमें रंजीत की मां बिमला देवी भी उनकी मदद करती लेकिन जब रंजीत 15 साल का हुया तो रामकुमार जी की मृत्यु हो गई घर परिवार बिखर गया रंजीत की मां बीमार रहने लगी रंजीत की बहन आरती की जिम्मेवारी सब कुछ अब रंजीत के उपर आ गई
देखते देखते ही आठ साल बीत गए रंजीत अब पूरी तरह से खेती और व्यापार सीख गया रंजीत की मां बिमला की अब यही इच्छा थी की उसके बेटा और बेटी दोनो की शादी की उमर हो गई है और उन दोनो की शादी हो जाए और फिर वो इस जीवन को त्याग दे
आरती और रंजीत अपनी मां से बहुत प्यार करते थे और अपनी मां का ध्यान रखते थे इन बीते आठ सालों में सिर्फ रंजीत का जीवन ही नहीं बदला और भी बहुत कुछ बदल गया था शंभुनाथ राज्य पूरी तरह से बर्बादी की तरफ जाने लगा था।
शंभुनाथ राज्य का राजा धन दौलत आने से घमंडी और अहंकारी हो गया वह अपने सुख के लिए प्रजा का दुख भूल गया वह अपनी प्रजा पर अताचार करने लगा उनसे अलग अलग तरह का कर्ज वसूलने लगा था प्रजा पुरी तरह से दुखी थी और वो अब एक नया राजा चाहती थी।
रंजीत भी राज्य के लोगो की छोटी मोटी मुस्किले हल करने लगा था। फिर चाहे वो किसानी में हो पारावरिक हो या न्याए फैसले में हो देखते ही देखते रंजीत राज्य में चर्चा में फैल गया और राज्य के लोगों की नजर में राजा रंजीत जैसा होना चाहिए।
तो यहां से शुरू होता है रंजीत के राजा बनने का समय
2 साल बाद आरती की शादी शंभुनाथ राज्य के साथ वाले राज्य में वहा के सेनापति से हो गई आरती ने शंभनाथ राज्य का हाल अपनी पति को पहले ही बता दिया था और आरती के पति ने अपने राजा को वहा का राजा बहुत अच्छा था
उसको शंभु नाथ राज्य के बारे में सब कुछ पहले से पता था और वो प्रजा का दुख समझता था रंजीत शिव भगवान का बहुत बड़ा भक्त था वो रोज भगवान शिव की पूजा करना शिवलिंग पर दूध चढ़ाता था। एक दिन भगवान शिव जी उसके सपने में आए और बोले रंजीत तू मेरा सच्चा भक्त हैं में तुजसे बड़ा पर्सन हु मांगो क्या इच्छा है तुम्हारी तो रंजीत ने कहा
भगवान आपका दिया सब कुछ है मेरे पास मुझे कुछ नहीं चाहिए में तो बस इस राज्य का भला चाहता हु मेरे राज्य को बचा लीजिए शिव जी ने कहा रंजीत मेरी तुम पे कृपया है राज्य की पहाड़ी पर मेरा मंदिर बनवा दो में तुझे शंभुनाथ राज्य का राजा बना दूंगा यह सुन के रंजीत बहुत खुश हुए और बोला मेरे पिता की इच्छा पूरी हो जाए गी और उसकी नीद खुल गई।
रंजीत ने राज्य के गांव वालो के साथ मिल के पहाड़ी पर मंदिर बनवाना शुरू कर दिया इधर मंदिर बनने लगा उधर राजा बीमार होने लगा राज्य के वैद्यों ने बताया की राजा को बीमारी हो गई है वो अब बच नहीं पाए गए और कुछ दिन बाद राजा की मृत्यु हो जाती है।
मंदिर भी बन के तैयार हो जाता है लेकिन अब राज्य का राजा बने गा कोन तब शंभुनाथ राज्य की प्रजा आरती के पति के राज्य के राजा के पास जाते है और आस पास के अन्य राज्यों को बुला के सभा होती है और रंजीत को शंभुनाथ राज्य का राजा चुना जाता है।
रंजीत राजा बनने के बाद प्रजा की सेवा करने लगा राज्य तरकी करने लगा सभी खुशी खुशी रहने लगे रंजीत की मां भी खुश थी और रंजीत की भी पास के राजा की बेटी से शादी हो गई और दो बच्चे हुए और जिंदगी यू ही चलती रही तो यह थी भगवान शिव के भक्त रंजीत की कहानी।